पत्ते कब पेडों से अलग होना चाहते हैं,पर हो जाते हैं।जीवन रस की पूर्ति न हो पाने पर सूखते जाते हैं और अलग हो जाते हैं। कहा जाता है कि जड़ के बिना पेड़ का कोई अस्तित्व नहीं होता, सच है।किंतु कुछ पेड़ ऐसे भी होते हैं जिनके पत्तों से जड़ें उत्पन्न हो जाती है ।
एक पत्ता अलग हुआ, नहीं कर दिया गया।पेड़ ने उसे त्याग दिया।पत्ता नई मिट्टी में जा गिरा, उसे नमी व उर्वरता मिली और नई जड़ें निकल आईं एक पत्ते से हरे-भरे पेड़ का सृजन हुआ और नई कोपलों ने बाँहें फैलाईं।
2 comments:
kya bat hai..sahi kaha patte se srijen sambhav hai ji
apne meri bhavna ko samjha. Abhaari hoon.
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