सृजन
Tuesday, March 9, 2010
इरादा
बुझाकर बत्तियाँ शहर की सारे
आसमाँ नज़र में भरने का इरादा है
मैंने जब माँग लिया तुझ को तुझसे
जिंदगी साथ निभाने का वादा है
1 comment:
Yogesh Verma Swapn
said...
bahut khoob.
10 March, 2010
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bahut khoob.
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