(1)
कईं शहर हैं ढके बर्फ से
ठंड से सिकुड़ गए हैं तन,
फिर भी बेहतर उन गलियों से
जहाँ जमे पड़े हैं मन।
(2)
क्यूँ रिश्ते सभी
उम्र के छोटे होते हैं?
चार दिन मुस्कुराहटों में
बाद... जिंदगी भर ढोते हैं।
(3)
कितनी कितनी बार सिले हैं
उँगली बिंधीं, सुईं है मौन
ताने-बाने सरक गए हैं,
पैबंदों को संभाले कौन?
रिश्तों की गाँठे हैं भारी
धागे कच्चे,
प्रयास भी पौन
फिर भी जुड़े-जुड़े कहीं हैं
रक्त के बंधन
काटे कौन ?
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क्यूँ रिश्ते सभी
उम्र के छोटे होते हैं?
चार दिन मुस्कुराहटों में
बाद... जिंदगी भर ढोते हैं।
waah
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