कुछ शहर पुराने, यादों में
अकसर आ जाया करते हैं;
गहराते हैं साये जब,
बन सूरज छाया करते हैं।
जीवन के बीहड़ में जो कभी,
काँटों की चुभन बढ़ जाती है;
वो नर्म रुई के फ़ाहों से,
मन को सहलाया करते हैं।
सीधा चलते चलते भी तो
दोराहे पर आ जाते हैं;
वो हाथ पकड़ कर हमदम से
बस राह दिखाया करते हैं।
जो शहर पुराने यादों में
अकसर आ जाया करते हैं।
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