वही अंश हूँ तुम्हारा,
आहट पर जिसकी
हर्षाए, मुस्कुराए,
पौरुष हुआ गौरवान्वित
गीत हृदय ने गाए।
रूप प्रत्यक्ष
माँ का जो पाया
अश्रु नयनों में
क्यों भर आए
जननी
मैं रूप थी तुम्हारा
फिर क्यों प्रसन्न न हो पाई
दुख था वह, या भय था
जिससे भर आँचल सिमट गया।
आज सफलता देख मेरी
जब हर्षाते हो
मन में फिर भी
यह रहता है.....
अब भी.....क्या अब भी
पुत्र ही चाहते हो
आशीष रहा
मुझ पर जो सदा
जो प्रेम तुम्हारा
बना रहा
हर पथ पर
संबल तुमने दिया
वह याद सभी कुछ है
पर भूले नहीं
कभी फिर भी......
आँख के तेरी
वे आँसू।
1 comment:
aapne bhaut gaharayee se likhi hai us ladki ki feelings jo sabkuch pake bhi ek feelings se bahar maa pita ko ni la pati hai..bete ki chah..
dil ko chhu gaye khyaal
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