कल काटे छाँटे वृक्ष की
नग्न शाख पर उतर आया चाँद
सहलाता हुआ सा
पत्रहीन अकेलेपन को
सींचता चाँदनी से......
तुम जीवन हो
फिर हरे भरे होंगे
कल, कल-कल स्वर
भर देंगे जीवन,
जीवन के आँगन में।
कुछ पत्र पुष्प छंट जाने से
जीवन का सार नहीं चुकता
जीवन मन का वह साहस है
जो कभी कहीं नहीं रुकता
2 comments:
बहुत-बहुत उम्दा रचना. आपकी रचनात्मका और रचना की प्रष्टभूमि और जीवन की एक सकारात्मकता वाह...आपकी रचनाएं सदैव पढ़ना चाहूँगा...बहुत ही उम्दा लिखा है. जारी रहें.
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Till 30-09-09 लेखक / लेखिका के रूप में ज्वाइन [उल्टा तीर] - होने वाली एक क्रान्ति!
bahut sakartmak soch....... kuch ptte jhad jaaye to jeevan nahi rukta
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