तृणमात्र हैं बस इस जगती में
जिनको ले समय की धार बही
पर लड़ मरते उन बातों पर
जो चुनने का अधिकार नहीं।
जिनको ले समय की धार बही
पर लड़ मरते उन बातों पर
जो चुनने का अधिकार नहीं।
कभी धर्म कभी देह पर धर
छिछली बातें करने वाले
मानवता के सहज गुणों से
रखते हैं कुछ सरोकार नहीं।
छिछली बातें करने वाले
मानवता के सहज गुणों से
रखते हैं कुछ सरोकार नहीं।
हर्शाए रहते उथली सतह पर
बातों में कुछ आधार नहीं
जाने लेकिन न समझें कभी
प्रतिशोध से चले संसार नहीं।
बातों में कुछ आधार नहीं
जाने लेकिन न समझें कभी
प्रतिशोध से चले संसार नहीं।
वो खेल सियासी में भूले
पैशाचिकता प्रतिकार नहीं
नर पिशाचों की देश तो क्या
धरती को भी दरकार नहीं।
भावना सक्सैना
पैशाचिकता प्रतिकार नहीं
नर पिशाचों की देश तो क्या
धरती को भी दरकार नहीं।
भावना सक्सैना