Monday, September 6, 2021

हिंदी बोलो रे!

 

हिंदी बोलो रे!

 

हिंद के निवासी हो तो हिंदी बोलो रे

प्रेम की ये भाषा है हिंदी बोलो रे

हिंदी बोलो, हिंदी बोलो, हिंदी बोलो रे

अरे भई हिंद के निवासी हो तो हिंदी बोलो रे

 

पूरब, पश्चिम, उत्तर दक्षिण, जोड़े सबको जो

सबको जो अपनाती है, वो हिंदी बोलो रे

राजभाषा ये तुम्हारी, मन की भाषा ये

तुमको इससे प्रेम है तो हिंदी बोलो रे

हिंदी बोलो, हिंदी बोलो, हिंदी बोलो रे

अरे भई हिंद के निवासी हो तो हिंदी बोलो रे

 

दूर-दूर फैली इसकी शाखाएँ अनेक

बोलियाँ असंख्य हैं, पर भाषा है ये एक

घर हो दफ्तर हो, या हो कोई देश,

डरो नहीं, झुको नहीं, हिंदी बोलो रे।

हिंदी बोलो, हिंदी बोलो, हिंदी बोलो रे

अरे भई हिंद के निवासी हो तो हिंदी बोलो रे

 

भाषा राजकाज की, भाषा ये संचार की

भाषा संविधान की, भाषा ये संस्कार की

गौरव है ये राष्ट्र का, आन-बान देश की,

इसको संग लेके चलो हिंदी बोलो रे।

हिंदी बोलो, हिंदी बोलो, हिंदी बोलो रे

अरे भई हिंद के निवासी हो तो हिंदी बोलो रे

 

ये सहज, ये सरल, ये सुबोध है,

इसमें नेह-प्रेम है, अपनत्व बोध है

केरल जाओ, असम जाओ, तमिल जाओ रे

इसकी सखियों को मिलाओ, फिर हिंदी बोलो रे

हिंदी बोलो, हिंदी बोलो, हिंदी बोलो रे

अरे भई हिंद के निवासी हो तो हिंदी बोलो रे।

 

भावना सक्सैना

Thursday, September 2, 2021

राजभाषा मन की भाषा है


राजभाषा बस नहींये तो मन की भाषा है,

एक डोर में बांधे सबको अभिलाषा है।

ये किरीट भारत काये है शान हमारी

इससे ही तो जग में है पहचान हमारी।

 

इसमें जुड़ती गुजरातीतामिल और मराठी

बाइस मिल पोषित करती हिंदी को प्यारी,

ये अक्षय-वट इसमें समाहित कितनी बोलियां

ये भारत के जन गण मन की आशा है।

 

ये देश-देश में फैली ले संस्कार हमारे

सींचा इसने कितनों कोकितनों को तराशा।

जुड़ जाता इसमें जब गौरव जन-जन के मन का

बन जाती संस्कृति की ये परिभाषा है।

 

एकता की उन्नति की तो यही राह है

इसमें सहजता, इसमें सुगमता और प्रवाह है

ये राष्ट्रप्रेम की जननी है, ये दक्षा है

जिसमें देखें हम खुद को ये वो शीशा है।

 

राजभाषा बस नहींये तो मन की भाषा है,

एक डोर में बांधे सबको अभिलाषा है।


भावना सक्सैना