Friday, October 2, 2015

यादों के द्वारे
पलड़े नहीं हैं,
चली आती हैं
बेसबब सर उठाए।
कभी नर्म रेशम सी
सहलाएं मन को,
कभी दर्द का
घन दरिया बहायें।
कभी बीच बाज़ार
उड़ती सी खुशबू,
बहा ले जाए
किसी ही जहाँ में।
जगाएं कभी नींद से
बनके सपना,
उठा ले जाएँ
अनोखे जहाँ में।
एहसास मधुर
बीती ज़िन्दगी का,
बना दें सुखद
हर दिन, जो अब आए।
भावना सक्सैना

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