Friday, June 1, 2018

कछुआ

कितना सुखी होना है
कछुआ होना
अपने घेरे में
अपने दायरे में
जड़ता ओढ़
अडिग अचल
निःस्पृह।
पाना वो तीव्र दृष्टि
जो चीर अंधेरे
पराबैंगनी किरणों में
रंग बूझ पाए
दुनियावी फितरतों के
छिपकर कवच में अपने
कह सके
मैं जब हूँ, तभी हूँ
अपने मन से
अपने लिए।

भावना सक्सैना

No comments: