Monday, March 13, 2023

कौन हूँ मैं

 कौन हूँ मैं!


कल पूछा था किसी ने

कौन हूँ मैं

सोच रहा हूं अभी तक 

अपना पता!

नाम हूँ क्या? 

या रिश्ता कोई?

कर्म से दूँ क्या पहचान बता?

कोई उपाधि, 

कोई तमगा, 

क्या करेगा परिभाषित!


अणु पुंज कोई

क्या बस देह यही…

या वो मन जिसको

नेह जल ने छुआ

कौन हूँ मैं

जानना स्वयं को बाकी अभी

किसी को क्या दूं अपना पता।


वक्त की रेत का

महीन कोई कण

अनन्त व्योम से 

स्वर एक टूटा हुआ

कतरा किसी एहसास का

कह दे कोई शायद

या किरण का किसी 

एक बिंदु कहीं छूटा हुआ


कृति ईश की

सागर में कश्ती सी

इससे और क्या

परिचय जुदा

अभक्त तो नहीं 

भक्त भी अभी हो न सका

चिरकाल से विचरा

रूपों में कईं

कौन  से रूप का दे दूँ मैं पता

कौन हूँ मैं

जानना स्वयं को बाकी अभी

किसी को दूँ क्या अपना पता!


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