Sunday, March 11, 2018


सांस लेते तो हैं यहां सब ही
यकीन कर मगर सब ज़िंदा नहीँ है

तन्हा नहीं रह पाते जो दो पल
ज़िंदगी मे सबसे तन्हा वही हैं।

मजमा लगा के बहलाते हैं दिल
और कहते हैं वो तन्हा नहीं हैं।

भटका जहां सुबह से शाम तलक
जान पाया नहीँ उसकी राह वही है।

बात दिल की सुनी उसने हर दफा
सोचा नहीँ कभी सही है कि नहीँ है।

करो जितनी भी गुणा भाग छिपाकर
जान लो कि साफ बड़ी उसकी बही है।

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