सांस लेते तो हैं यहां सब ही
यकीन कर मगर सब ज़िंदा नहीँ है
तन्हा नहीं रह पाते जो दो पल
ज़िंदगी मे सबसे तन्हा वही हैं।
मजमा लगा के बहलाते हैं दिल
और कहते हैं वो तन्हा नहीं हैं।
भटका जहां सुबह से शाम तलक
जान पाया नहीँ उसकी राह वही है।
बात दिल की सुनी उसने हर दफा
सोचा नहीँ कभी सही है कि नहीँ है।
करो जितनी भी गुणा भाग छिपाकर
जान लो कि साफ बड़ी उसकी बही है।
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