1.
धूप से तुमको बचाया
हुलसी तुम्हारी छाँव में
बाँध ली ज़ंजीरें खुद ही
उसने अपने पाँव में
2.
कल उलीचा था बहुत
मन से धुँआ जाता नहीं है
हो शमा कितनी भी रोशन
मन जगमगाता ही नहीं है।
धूप से तुमको बचाया
हुलसी तुम्हारी छाँव में
बाँध ली ज़ंजीरें खुद ही
उसने अपने पाँव में
2.
कल उलीचा था बहुत
मन से धुँआ जाता नहीं है
हो शमा कितनी भी रोशन
मन जगमगाता ही नहीं है।
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